गोकुल नगरी में रहता है कोई जादूगर भजन लिरिक्स - Gokul Nagari Me Rahta Hai Koi Jadugar Bhajan Lyrics

गोकुल नगरी में रहता है कोई जादूगर भजन लिरिक्स  

अपना दहिया तू उतार गोरी ना जा जमुना पार
गोकुल नगरी में रहता है कोई जादूगर 
अपना दहिया तू उतार...

कल मै गयी थी सखी बेचन दहिया 
मिला वही चोर मेरी रोक दिया रहिया 
करने लगा ओ तकरार मांगे दहिया तो उतार 
गोकुल नगरी में रहता है कोई जादूगर 

अपना दहिया तू उतार गोरी ना जा जमुना पार
गोकुल नगरी में रहता है कोई जादूगर 
अपना दहिया तू उतार...

नरम कलाई मेरी ऐसे मरोड़ी 
मार चीख सखी मै तो पड़ी रो री 
ताकि मेरा हो श्रृंगार मै तू उससे हुयी लाचार
गोकुल नगरी में रहता है कोई जादूगर 

अपना दहिया तू उतार गोरी ना जा जमुना पार
गोकुल नगरी में रहता है कोई जादूगर 
अपना दहिया तू उतार...

मुखड़े पे भोलापन हाथ में बासुरिया
कर गया जादू मो पे नन्द का सांवरिया 
करके बाते ओ हजार दहिया लेना ओ उतार 
गोकुल नगरी में रहता है कोई जादूगर 

अपना दहिया तू उतार गोरी ना जा जमुना पार
गोकुल नगरी में रहता है कोई जादूगर 
अपना दहिया तू उतार...

Gokul Nagari Me Rahta Hai Koi Jadugar Krishna Bhajan Lyrics in Hindi


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