मुरली वाले ने घेर लई अकेली पनिया गई लिरिक्स - Murali Wale Ne Gher Lai Akeli Paniya Gayi Lyrics
मुरली वाले ने घेर लई अकेली पनिया गई लिरिक्स
निकली नगर से कभी अकेली
जब भी निकली संग सखी सहेली
एक छलिये को देख के अपना
सुधबुध भूल गई
मुरली वाले ने घेर लई
अकेली पनिया गई
मै तो गई थी जमुना तट पे
कान्हा खड़ा था रे पनघट पे
खड़ी मुझको री देर भई
अकेली पनिया गई
मुरली वाले ने घेर लई
अकेली पनिया गई
श्याम ने मेरी चुनरी झटकी
सर से मेरे गिर गई मटकी
बैरी बैया मरोड़ गई
अकेली पनिया गई
मुरली वाले ने घेर लई
अकेली पनिया गई
बड़ा नटखट है श्याम सावरिया
रंग डारी मेरी कोरी चुनरिया
मेरी गागरिया फोड़ दई
अकेली पनिया गई
मुरली वाले ने घेर लई
अकेली पनिया गई
लाख कही पर एक ना मानी
भरने ना दे वो मोहे पानी
मारे लाज के मै मर गई
अकेली पनिया गई
मुरली वाले ने घेर लई
अकेली पनिया गई
krishna gavlan Bhakti Bhajan Song
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