भजन बिना तन राख की ढेर है लिरिक्स - Bhajan Bina Tan Rakh Ki Dher Hai Lyrics

भजन बिना तन राख की ढेर है लिरिक्स

भजन बिना तन राख की ढेर है
जीवन रैन अँधेरी
भजन बिना तन राख की ढेर है
जीवन रैन अँधेरी

क्यों मुरख मन भटक रहा है
लोभ मोह में अटक रहा है
भूल रहा भागवत की महिमा
मति मारी है तेरी हाय ..
जीवन रैन अँधेरी
भजन बिना तन राख की ढेर है
जीवन रैन अँधेरी 

नाम मिलाता हरी से प्यारे
ताम मिटाता सब अंधियारे
मौत को भी हरी भजन मिटाता
है चरनन की चेली
जीवन रैन अँधेरी
भजन बिना तन राख की ढेर है
जीवन रैन अँधेरी

रोम रोम में राम रमा है
राम नाम पर जगत थमा है 
राम भजन करले मेरे भाई
बात मानले मेरी
जीवन रैन अँधेरी
भजन बिना तन राख की ढेर है
जीवन रैन अँधेरी

Bhajan Bina Tan Rakh Ki Dher Hai  Ram Bhajan Lyircs In Hindi
Bhakti Bhajan Song Details

 Song  :- Bhajan Bina Tan Rakh Ki Dher Hai

 Singer:-  

 Lyrics  :- 

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