लिङ्गाष्टकम् शिवलिंग स्तुति - lingashtakam lyrics With meaning in hindi

लिङ्गाष्टकम् शिवलिंग स्तुति - lingashtakam lyrics

        श्री शिव की स्तुति में एक स्तोत्रम् (भजन) Lingashtakam है, शिव जिन्हें महेश्वर, रुद्र, आदि भी कहा जाता है। लिंग शिव का प्रतीक है जैसे शंख और चक्र श्री विष्णु के प्रतीक हैं। लिंगाष्टकम स्तोत्रम भगवान शिव की प्रार्थना है। लिंग सृष्टि का सार्वभौमिक प्रतीक और संसार के हर एक चीज का स्रोत है। Lingashtakam में भगवान शिव की महिमा का वर्णन किया गया है। प्रत्येक श्लोक में भगवान की महिमा और शिव लिंग की पूजा के लाभों को वर्णित किया गया है। इसमें यह भी उल्लेखित है कि विष्णु और ब्रह्मा द्वारा भी लिंग की पूजा की जाती है। यह मंत्र हर समय शांति से ओत प्रोत कर जन्म और पुनर्जन्म के चक्र के कारण किसी भी दुख को नष्ट कर देता है।

lingashtakam lyrics With meaning in hindi

ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगं 
निर्मलभासित शोभित लिंगम् । 
जन्मज दुःख विनाशक लिंगं 
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ १ ॥ 

हम उन सदाशिव लिंग को प्रणाम करते हैं। जिनकी ब्रह्मा विष्णु एवं देवताओं द्वारा भी अर्चना की जाती है आप सदैव निर्मल भाषाओं द्वारा पुजित हैं और जो लिंग जन्म-मृत्यू के चक्र का विनाश करता है (सभी को मोक्ष प्रदान कराता है) 

देवमुनि प्रवरार्चित लिंगं 
कामदहन करुणाकर लिंगम् । 
रावण दर्प विनाशन लिंगं 
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ २ ॥ 

सभी देवताओं और मुनियों द्वारा पुजित लिंग जो काम का दमन करता है तथा करूणामयं भगवान् शिव का स्वरूप है जिसके द्वारा रावण के अभिमान का भी नाश हुआ उन सदाशिव लिंग को मैं प्रणाम करता हूँ 

सर्व सुगंध सुलेपित लिंगं 
बुद्धि विवर्धन कारण लिंगम् । 
सिद्ध सुरासुर वंदित लिंगं 
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ ३ ॥ 

जो सभी प्रकार के सुगंधित पदार्थों द्वारा सुलेपित लिंग है जो कि बुद्धि का विकास करने वाला है तथा सिद्ध- सुर (देवताओं) एवं असुरों सभी के लिए वन्दित है उन सदाशिव लिंग को हमारा प्रणाम। 

कनक महामणि भूषित लिंगं 
फणिपति वेष्टित शोभित लिंगम् । 
दक्ष सुयज्ञ निनाशन लिंगं 
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ ४ ॥ 

जो स्वर्ण एवं महामणियों से विभूषित एवं सर्पों के स्वामी से शोभित सदाशिव लिंग तथा जो कि दक्ष के यज्ञ का विनाश करने वाला है।आपको हमारा प्रणाम। 

कुंकुम चंदन लेपित लिंगं 
पंकज हार सुशोभित लिंगम् । 
संचित पाप विनाशन लिंगं 
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ ५ ॥ 

लिंग जो कुंकुम एवं चन्दन से सुशोभित है। कमल हार से सुशोभित है। सदाशिव लिंग जो कि हमें सारे संञ्चित पापों से मुक्ति प्रदान करने वाला है उन सदाशिव लिंग को हमारा प्रणाम। 

देवगणार्चित सेवित लिंगं 
भावै-र्भक्तिभिरेव च लिंगम् । 
दिनकर कोटि प्रभाकर लिंगं 
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ ६ ॥ 

सदाशिव लिंग को हमारा प्रणाम जो सभी देवों एवं गणों द्वारा शुद्ध विचार एवं भावों के द्वारा पुजित है तथा करोडों सूर्य सामान प्रकाशित हैं। 

अष्टदलोपरिवेष्टित लिंगं 
सर्वसमुद्भव कारण लिंगम् । 
अष्टदरिद्र विनाशन लिंगं 
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ ७ ॥ 

आठों दलों में मान्य तथा आठों प्रकार के दरिद्रता का नाश करने वाले सदाशिव लिंग जो सभी प्रकार के सृजन के परम कारण हैं आप सदाशिव लिंग को हमारा प्रणाम। 

सुरगुरु सुरवर पूजित लिंगं 
सुरवन पुष्प सदार्चित लिंगम् । 
परात्परं परमात्मक लिंगं 
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ ८ ॥ 

देवताओं एवं देव गुरू द्वारा स्वर्ग के वाटिका के पुष्पों द्वारा पुजित परमात्मा स्वरूप जो कि सभी व्याख्याओं से परे है उन सदाशिव लिंग को हमारा प्रणाम। 

लिंगाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेश्शिव सन्निधौ । 
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥

Comments

  1. boht achha page hai mei bhi iske related bhajans daalta hu ek baar zarur dekhe Ram Bhakti

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