आये नहीं घनश्याम जो साडी सर से सरकी लिरिक्स - Aaye Nahi Ghanshyam Jo Sadi Sar Se Saraki Lyrics
आये नहीं घनश्याम जो साडी सर से सरकी लिरिक्स
आये नहीं घनश्याम जो साडी सर से सरकीसरकी सरकी पांचो वर की आस लगी है मोहे गिरधर की
आये नहीं घनश्याम जो साडी सर से सरकी
पाँचों पति सभा में बैठे जैसे बैठी नारी
द्रोणाचार्य पितामह बैठे नीचे गर्दन डारी
अपनों ने मुख मोड़ लिया है मोहे केवल आस तिहारी
आये नहीं घनश्याम जो साडी सर से सरकी
याद करो उस दिन की मोहन अंगुली कटी तिहारी
फाड़ के साडी अपने तन की बाँधी तुरंत मुरारी
बेगे पधारो नाथ हरी तुम लुट ना जाए लाज हमारी
आये नहीं घनश्याम जो साडी सर से सरकी
भरी सभा में एकली थारी मैं किस्मत की मारी
दुशासन मेरी साडी खींचे हुई शरम से मैं पानी
पूर्ण रूप से किया समर्पण आओ ना आओ अब मर्ज़ी तिहारी
आ ही गए घनश्याम जो साडी सर से सरकी
Bhakti Bhajan Song Details
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