दुःख ही मानव की संपत्ति है तू क्यों दुःख से घबराता है लिरिक्स - Dukh Hi Manav Ki Sampatti Hai Tu Kyo Dukh Se Ghabrata Hai Lyrics
दुःख ही मानव की संपत्ति है तू क्यों दुःख से घबराता है लिरिक्स
दुःख ही मानव की संपत्ति है,तू क्यों दुःख से घबराता है,
सुख आया है तो जाएगा,
दुःख आया है तो जाएगा,
सुख दे कर जाने वालों से,
यह मानव क्यों घबराता है।।
मैं सब व्ययन प्रमाद बड़े,
दुःख में पुरशाद चमकता है,
दुःख की ज्वाला में पक करके,
कुंदन सा तेज चमकता है,
सुख में सब भुले रहते हैं,
दुःख सबकी याद दिलाता है,
दुःख ही मानव की संपत्ति है,
तू क्यों दुःख से घबराता है।।
दुःख है संध्या का लालच विश ही,
जिसके पश्चात अंधेरा है,
दुःख प्रातः का है झूठ पुता,
संग जिसके पश्चात अंधेरा है,
दुःख का अभीआसी मानव ही,
सुख पर अंधकार जमता है,
दुःख ही मानव की संपत्ति है,
तू क्यों दुःख से घबराता है।।
दुःख के सम्मुख यूं पैर उठे,
उनको को इतिहास ना जान सका,
दुःख के सम्मुख जो खड़े रहे,
जग उनको ही पहचान सका,
दुःख तो बस एक कसौटी है,
मानव को खराब बनता है,
दुःख ही मानव की संपत्ति है,
तुम क्यों दुख से घबराता है।।
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